रविवार, 9 नवंबर 2014

दुनिया

हो रही है सभा
दिन दुखियारो के यहाँ।
रो रही है मुनिया
इन कछारो के यहाँ।
जा रहा है ,
कल सुबह नत्थू अंधेरे ,
पास के उस गांव में।
है जहाँ से बोली आई ,
मुनिया के दिल की है।
दाम का निर्णय करेगें,
गांव के सब लोग मिलकर।
पास में मुनिया मतारी ,
अजब मुश्किल में है।
सोचिए कैसी दशा होगी ,
मुनिया बेचारी की अभी।
झोंकी जा रही जो,
अंधेरे बिल में है।
भीड में छुपकर जो
बैठा है चंदर,
ओसारे के पास।
बिनती और सुधा उसकी,
बसती मुनिया के दिल में है।
है दशा दशरथ की ,
मुनिया के बाप की।
किस कदर खामोश वह
भडी महफिल में है।
हर रोज रोते होंगे
राम अपने राज्य को।
दिन और दुखियों की सीता।
रावण की झोली में है।



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