घुप्प अंधेरे में वह चमका
मन का सीधा और सच्चा
हरपल देखो प्यार लुटाता
वह बिन माँ का बच्चा
ममता से थी झोली खाली
खाना पडता जूठा कच्चा
रात अंधेरे से डरता था
वह बिन माँ का बच्चा
बाप उसका नशे का आदी
देखभाल करती थी दादी
दिखने में गुड्डे से अच्छा
वह बिन माँ का बच्चा
नहीं मिला उसे कभी खिलौना
गद्दी और रंगीन बिछौना
फिर भी हंसता खुब हंसाता
वह बिन माँ का बच्चा
दुनिया में वह खो जाता है
चुपके चुपके रो जाता है
फिर भी सिना ताने देखो
वह बिन माँ का बच्चा
दुख से कभी न हारा है वह
बुढे बाबा का सहारा है वह
आसमान का तारा है वह
वह बिन माँ का बच्चा
कोई समझ न पाया उसको
साथ नहीं है साया उसको
चांद सा रौशन आसमान में
वह बिन माँ का बच्चा
देख सको तो देखो उसको
सिख सको तो सिखो उससे
जीवन से कभी न हारा है
वह बिन माँ का बच्चा
द्वारा
आदर्श पराशर
16/11/2014
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