शनिवार, 15 नवंबर 2014

कविता

होश खो मदहोश बैठे
मैं  और मेरी कविता।
मैं कविताओं की
पैदावार बढा रहा हूँ।
क्यूँकि
मैं एक कविता लिख रहा हूँ ।
एक कविता गा रहा हूं।
एक कविता जी रहा हूँ।
एक कविता खा रहा हूँ।

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