मत रोको मुझको आज
मुझे बहने दो
जीवन के संताप
मुझे कहने दो
मै रोता हूँ तो
आज मुझे रोने दो
अश्रूरक्त निर्मम
भू पर बहने दो
तुम देखो मत करो
मेरी प्रतीक्षा
बस मुझको बन निर्झर
निज वेग सहन करने दो
मै जलता हूँ तो
आज मुझे जलने दो
जीवन का ताप
मुझे सहने दो
मत हाथ लगाओ
जर्जर घर को
इसके स्तंभों को
भार ग्रहण करने दो
मुझको देखो मत तुम
मुझ जैसे लोगों को
दुनिया की रंगत
आज दर्श करने दो
सुन चुके बहुत हम गान तेरे
पर आज मुझे तुम
मेरे कर्कश संगीत
मुझे श्रवन करने दो
बहुत सहज थे कष्ट मिले जो
छण भर के
पर आज विरल के शीर्ष
कष्ट वहन करने दो
मत रोको मुझको आज
मुझे बहने दो
जीवन के संताप
मुझे कहने दो
------------
आदर्श पराशर