मंगलवार, 11 अगस्त 2015

लेकिन तुमको बढना होगा ।


सामने दानव की भांति चट्टान खडे होगें।
खुन के प्यासे अनगिनत इंसान खडे होगे।
लेकिन तुमको बढना होगा।
भुख से व्याकुल हो अंतरिया ऐंठी होंगी ।
पीछे घायल साथियों की भीड बैठी होंगी।
लेकिन तुमको बढना होगा।
रो रही होगी परेशान अम्मा बैठी द्वार पर।
नजरें लगी होंगी सबकी टी.वी अखबार पर।
लेकिन तुमको बढना होगा।
हजारों प्रश्न होंगे दबे तुम्हारे अंदर सिने में ।
कोई रस ,गीत नहीं  होगा तुम्हारे जीने में।
लेकिन तुमको बढना होगा।
घर मे तेरे, एक बेटी बिन व्याही होगी।
बुढे बाबा अम्मा कीआँखे काली होगी।
लेकिन तुमको बढना होगा।
सारी दुनिया आखें मुंदे सो रही होंगी।
तेरी खातिर एक अबला रो रही होगी।
लेकिन तुमको बढना होगा ।
अंधेरी रातों के स्वपन बडे भयावने होगें।
रोते कुत्तो की चींखे बहुत डरावने होगें ।
लेकिन तुझको बढना होगा ।
संभव है तुझको मरना होगा।
फिर झंडे मे लिपटे तु गर्व से हंसता होगा।
जीत की खुशी में भी लेकिन सारी दुनिया।
तेरी खातिर रोती होगी।
भले नही जले दिये तेरी याद में लेकिन।
लेकिन मेरी खातिर,  देश की खातिर।
तुमको बढना होगा।

।।।।।।।।।।
आदर्श पराशर