यूँ ही नहीं लिखी जाती
गोरे पन्नो पर सुनहरी स्याही से
रंग निचोड़े जाते है
कली और फुल से
फूल को मिलता है
तो क्या मिलता है
कहानी भी लिखी जाती है
उसी की खून से
कब तलक बेजार हो
सिता रोती रहे ।
हर कलम इतिहास में
बस औजार होता है।
लिखी जाती है जवानो के
मजार पर अमर शहीद मगर
खामोशी ही
उसका फलसफा होता है
तमन्ना होती है हर कब्र की
बनने का ताजमहल
पर सब के नसीब में
कहाँ शाहजहां होता है
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