रविवार, 31 अगस्त 2014

तजुर्बा

आज सुबह बाजार में
मैंने उसे देखा
देखते ही देखते
दिल मचल गया
मैंने कुछ  सोचा
बल्कि बहुत सोचा
सोचा कि क्या करूं
आज भी सोचता रहूँ
नहीं
बस मैंने सोच लिया
मैं गया
जेब टटोला
औकात नापी
कुछ कम था
नहीं बहुत कम था
फिर भी मैंने
हिम्मत करके बोल दिया
सौ ग्राम जलेबी दे दो भैया
अब मैं जानता हूँ
सब सोच रहे होंगे
ये क्या बकवास है
कोई बात नहीं
पर ये मेरा तजुर्बा है
इससे ज्यादा मैं कभी
कुछ नहीं कर पाता
जब भी कोशिश करता हूँ
जेब हल्की सी लगने लगती है
मैं डर जाता हूँ
मैं क्या करूं
आप ही बताइए?

द्वारा
आदर्श पराशर
31/08/2014

शुक्रवार, 29 अगस्त 2014

वो लडकी

तपती दोपहरी में, खेतो के बीचो बीच
सर पे बोझ उठाये,वो छोटी सी
प्यारी सी लडकी,भोली सी लडकी।
चेहरे पर अन्यत्र , पसीने की दो चार बूंदें
सर से होकर,नाकों से गुजर रही हैं।
चेहरे पर उसके,एक अजीब सी भंगिमा
भाव शुन्य, विरल, नीरव, सुनसान
और उधर ऊसकी माँ,
बकरियों को हांकती
धीमे धीमे गुनगुना रही है
सर पे उसके बेपनाह हसरतों का बोझ
जैसे अंधेरे मे निहारती हो उसकी आँखे
कैसी न्रिमिमोह ,जैसे शुन्य में डुब रही है
और
उधर वो लडकी कैसे
पैरों से मिट्टी लपेटती
धुप में जलती हुई उसकी मासूमियत
अनवरत , बोझ लादे सर पर
हंसती इठलाती,  मन को बहलाती
बेइंतहा खुशियों के इंतजार में,
पगडंडियों से चली जा रही है।
क्यों?
क्यों उसकी आँखे शुन्य है
क्यों ? उसकी आशायें मर सी गई है
क्यों ? उसकी बचपन बोझ तले दबी हुई है
क्यों?  

द्वारा
आदर्श पराशर

बुधवार, 27 अगस्त 2014

इंतकाम

दिवारों दर पे छपी ताहिर
करती मुक्कमल बयान है
कि मजबूरियत की गुलामी पर
लाख रुपया ईनाम है

शबे बारात की मानिंद है
खामोशी उजाले में
शमां की शोख अदाएं
संजीदगी का एहतराम है

गुलामी में हुई परवरिश
ये सर का निशान है
सजायाफ्ता है
उसे मौत का ईनाम है

गुरूर , शोख, अदबी
तुझे शमशेर करते हैं
वाह शहर की हर गली में
तेरा दुकान है

कब तलक शबनम की बूंदें
रेत को सींचे
जंजीर तोड देती है जमाना
मुझको गुमान है

मैं पैरों तले कर दूँ
आबाद गुलशन को
बस ये तेरे सलीके का
इंतकाम है

द्वारा
आदर्श पराशर

रविवार, 17 अगस्त 2014

उलझन

रेषु के उलझे गेषु में
मन को समझाऊँ कैसे
जीवन  की उष्मा में जलते
अधरों की प्यास बुझाउ कैसे

जो निझर्र मे बहते आए
अतितीर्व वेग में जनमों  से
इन आवारा  अरूनाई में
लहरों को दिशा दिखाऊ कैसे

अतिरिक्त चाप में बहने वाले
रूधिर जनित ऊष्मा को
कर सके शांत जो जल
वो जल लाऊँ कैसे

अतुलित साहस से बढते
रण में करते जो सिंहदहार
उन शोणित शीर्ष क्रम को
जीवन के गीत सुनाऊँ कैसे

फंसे हुए जो बीच धार में
छोड चुके जो पतवार 
उस नाविक को अपने
नौका में लाऊं कैसे

सुन चुके बहुत जो गाण
कर सके जो त्राण
वो मधुर संगीत बाण
अपने तरकश में लाऊँ कैसे

द्वारा
आदर्श पराशर

सोमवार, 4 अगस्त 2014

डर

जैसे
राह सुने तितलियों ने आंख मिचे
चांद की भी रौशनी पर गई है फिकी
सारे तारे  है सुबकते ऐसे जैसे
आज लगता मर गया है कोई तारा
झाडियों के बीच बैठा
एक कुत्ता रो रहा है तान छोडे
हाथ में कसके पकडकर
कमंडल दुध का
है डरा वह आठसाली छोकरा मजबूर सा
घर है उसका बांध के बिल्कुल किनारे
पर अकेला राह उसको काट खाये
सरसराती झुरमुटों से निकल कर
एक खरहा बैठ जाता है सडक पर
देख कर हलचल खींच जाते पैर बरबस
कांप जाती है उसकी रूह सर तक
दुध का बरतन सीने से लगाकर
तेज करके चाल पैरो को बढाता
भागता है घर की तरफ ,पर तभी
टुटता है आसमान से एक तरफ तारा
होगया भय से व्याकुल इस तरह
बैठ जाता है सडक पर कांपता
कुछ देर बैठा रोता रहा था
फिर जुटाता है हिम्मत और चल परता है
हाथ कि मुट्ठी है बांधी खुब कसकर
मन ही मन फिर कोसता है उस छण को
जब जरा तैश और बहन की बातों में फंसकर आ गया था दुध लाने धोती  कसकर
अब सोचता है बस इकबार घर पहुंच जाऊ
भाड में जायें पर दुध लाने  अब ना आऊ
दिख रहा है अब उसे लालटेन ओसारे का
जान में अब जान ऊसकी आ रही है
छाती भी कुछ कुछ निकलती जा रही है
जा रही है चेहरे से डर की निशानी
खांसते बाबा ने पुछा आ गये ?
डर तो नहीं लगा ?
रौब से कहता है
बाबा बच्चा थोडे ही हू ।

द्वारा
आदर्श पराशर

My goddess

I know I don't have
That smartness that
Can attract you..
I know I don't have
That height that can
match your requirements
I know that I don't have
that big home where
You can live
I know that
My portico doesn't have
Any car
I know that I can't go
For a long journey with you..
But
Do u know ?
I have a beautiful heart
Which is too smart.
Do u know ?
I have a height that not let u down at anywhere.
Do u know ?
I have a little heart
But you are all alone
The goddess in that.
Do u know ?
I have two foots by which
You can travel anywhere.
So
If I am worthy for you
You can come towards me
But if you can't come
Don't worry
Still you are the goddess of this little heart

By
Adarsh Kumar