सोमवार, 1 अगस्त 2016

Khat ke panne

बरसात आंधी और तूफान रखते है 

हम आज भी ओठों पे तेरा नाम रखते है।

जिस दरवाजे की ओठंगी में छिपते थे मुझसे

उसके सामने ही हम अपना जाम रखते है।

दीवानगी का कसर कुछ बाकि रह गया था 

आज भी ख़त के पन्नों पे तेरा नाम लिखते है।

उस पैड़ की छावं की कीमत क्या है जानते हो

आज भी उसके सामने अपनी जान रखते है

तुम बेशकीमती थे नहीं थे  मेरे लायक शायद 

इसी लिए अपनी सपनो को तुम्हारा नाम लिखते है

अजीब सी टेढ़ी राह थी अजीब से हमसफ़र उसपे

हम पागल कहाँ सुनी सुनाई किस्सों का मान रखते हैं

मोहब्बत कहाँ इतना आसान होता है ज़माने की जद से

इसी लिए तो हम तुम्हारा जिन्दगी अपना मौत नाम रखते हैं

मुझे तुमसे और तुम्हे मुझसे प्यार था तो क्या हुआ पगली

प्यार अहसास और जिंदगी से बढ़के तो दुनिया होती है 

इस जहाँ में मोहब्बत नहीं होती  हो बस दुनिया होती है

और प्यार तो बस एक सुखद अनुभूति होती है और क्या

और ये दुनिया है ना मेरी तुम्हारी किसी की नही होती 

किसी की नही होती ना मेरी ना तुम्हारी ना दुनिया की




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