सड़क पे दिखे जब भूखे नंगे फाके
मिला कुछ हौसला तब जाके
किसी मुश्किल में है नही
पराशर जिंदगी आपकी
हजारो लोग जिन्दा है
कई रोज पे एक शाम खाके
धहकती गर्मियों में
सर पे गठटर बोझ का लादे
वो जीता है बस कुछ रुपये पाके
है नही मशरूफ जिनको
सर पे ठाट और छप्पर
वो भी जिन्दा है
बड़ी मस्ती में है गाते
चलो अपनी मुश्किलो का
आज हिसाब कर दो ना
कहाँ मिलता है सुक़ून वर्ना
जिंदगी की ताप में आके।
समझ लो है नही कुछ भी ख़ुशी
सिवाय दर्द के काफी
किसे मिलता है तसव्वुर यहाँ
जमीं पे आके
पराशर जिंदगी का फ़लसफ़ा हो
कुछ इस तरह हासिल
जिए जो दर्द में भी तो नहीं हो दर्द
मरे फिर आसमान से प्यार हो जाए वहां जाके
सोमवार, 1 अगस्त 2016
हौसला
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