मंगलवार, 16 अगस्त 2016

कैनवास

उस ख़ूबसूरत सी कैनवास पे

टंगे उस अद्वितीय तस्वीर पे

उस पागल पेंटर ने कूचे से

रंगों की अजीब सी छींटाकशी की थी

सुनहरी दो लटाओं के बीच

बिखरती उस उजली लकीर से

नीचे की ओर बहती वो

दो लाल बुँदे तहजीब की तह तक

किनारो की जलती सी रौशनी से 

फूटती  बेमेल रंगों की किरणें

किरणों से मिलती उस उदास 

चेहरे की नीरस काली भावना

फिर मिलती उस उभरते ठिकानों 

की बेतरतीब ढलानों में जाकर

कुछ रंगो की बेहूदा इधर उधर 

बेतरतीब सी फैली हुई परछाई

फिर अंधेरे में खत्म होती

आँखों की वो दो पुतलियां

पागल चित्रकार ने जिंदगी की

कैसी रंगीन तस्वीर बनाई है।

©【Adarsh】17/08/2016 : 02:32

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