बुधवार, 17 सितंबर 2014

सिनेमा

जिंदगी क्या है
एक सिनेमा का सेट
कभी इस रंग में
कभी उस रंग में
कभी हंसी के छींटे
कभी आंसूओं की लडी
कभी सफल कभी फिसड्डी
कभी हिरो कभी विलेन
कभी चोर कभी सिपाही
कभी राजा कभी रंक
कभी पात्र बदलते हैं
कभी दिशा
पर
रील चलती ही रहती है
तबतक जबतक
सिनेमा खत्म न हो
और फिर
कुछ लोग ताली बजाते हैं
कुछ गाली देते हैं
लेकिन कोई कुछ नहीं करता
बस हंसते हुए घर चले जाते हैं

द्वारा
आदर्श पराशर
17-09-2014

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