मंगलवार, 13 मई 2014

मैं कौन हूं ?

मैं कौन  हूं ?
पूछता हर रोज  हूं,
खूद से पर ;
कभी मिला जवाब नहीं।
कि,
मैं कौन  हूं ?
चिंगारी !
जिसे जलाया गया है।
पर ,
मैं कौन  हूं ?
जल!
जिसे बहना सिखाया गया है।
पर,
मैं कौन  हूं ?
गीत !
जिसे गाया गया है ।
पर ,
मैं कौन  हूं ?
बाग !
जिसको सजाया गया है।
पर,
मैं कौन  हूं ?
देवता !
मंदिर में जिसे बसाया गया है।
पर ,
मैं कौन  हूं ?
स्वपन!
जिसको निंद  से चुराया गया है।
पर ,
मैं कौन  हूं ?
फूल !
जिसको केश से लगाया गया है ।
पर,
मैं कौन  हूं ?
सवाल!
जो सैंकड़ों बार दुहराया गया है।
पर,
मैं कौन  हूं ?
::::::::::::::::::::::::::::::::::::
द्वारा
आदर्श पराशर

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